परिचय (Introduction)
National Highway Authority Of India के द्वारा 520 km लम्बे Gorakhpur Siliguri Expressway का काम काफी तेजी से आगे बढाया जा रहा है। भारतमाला परियोजना फेज 2 के तहद बनने वाली 4 लेन के इस ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट का प्रस्ताव 2021 में लाया गया था। और मई 2022 से इसके भूमि अधिग्रहण का काम भी शुरू कर दिया गया है। नेपाल बॉर्डर के समानांतर चलने वाली Gorakhpur Siliguri Expressway एक महत्वपूर्ण सड़क परियोजना है जो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर को पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से जोड़ेगी। यह एक्सप्रेसवे उत्तर भारत और पूर्वोत्तर भारत के बीच यातायात को सुगम बनाएगा। आइये जानते है इस परियोजना की पूरी अपडेट।
Gorakhpur Siliguri Expressway का महत्व (Imporatnce)
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वर्तमान में गोरखपुर से सिलीगुड़ी के लिए कोई भी सीधी कनेक्टिविटी ना होने की वजह से यात्रा को पूरा करने में कम से कम 15 घन्टे का समय लगता है। लेकिन Gorakhpur Siliguri Expressway के बनने के बाद ये दुरी सिर्फ 8 से 9 घन्टे की रह जाएगी यह एक्सप्रेसवे केवल एक सड़क मार्ग नहीं है, बल्कि यह आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। गोरखपुर से सिलीगुड़ी की सीधी कनेक्टिविटी से व्यापार और उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही नेपाल और भूटान जैसे पड़ोसी देशों के लिए भी यह मार्ग काफी फायेदेमंद साबित होगा। क्योंकि यह उनके साथ व्यापारिक संबंधों को और मजबूत बनाएगा। ये भी देखे दुर्गा पूजा 2024
Gorakhpur Siliguri Expressway की सुचना एवं लागत (information & Cost)
NHAI के द्वारा बनने वाली Gorakhpur Siliguri Expressway की डीपीआर तैयार हो गयी है और बिहार में जल्द ही अगले कुछ महीनो से भूमि अधिग्रहण का काम शुरू हो जायेगा। अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य 2028 तक रखा गया है। आइये जानते है इसकी कुल लागत और इस से जुडी और जानकारी के बारे में।
- अनुमानित लागत : 32,000 हजार करोड़
- प्रोजेक्ट की लम्बाई : 519 km
- टोटल लेन: 4
- starting Point: गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
- End Point : सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल
- वर्तमान स्थिति : भूमि अधिग्रहण
- प्रोजेक्ट डेडलाइन : 2028
- Owner: नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (NHAI)
- Project Model : Engineering, Procurement and Construction (EPC)
Gorakhpur Siliguri Expressway रूट मैप (Route Map)
गोरखपुर के रिंग रोड (NH-27) से शुरू होकर गोरखपुर के तमुखीराज तहसील से होते हुए बिहार के गोपालगंज में प्रवेश करने के बाद यह एक्सप्रेसवे बिहार के 9 जिलो से गुजरते हुए पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी तक जाएगी। साथ ही गंडक नदी पर 10 km लम्बे पुल का भी निर्माण किया जायगा जिसका कुछ हिस्सा बिहार में और कुछ हिस्सा यूपी में होगा।
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District List: Gorakhpur Siliguri Expressway
उत्तर प्रदेश
- गोरखपुर
- देवरिया
- कुशीनगर
बिहार
- गोपालगंज
- पश्चिमी चम्पारण
- पूर्वी चम्पारण
- शिवहर
- सीतामढ़ी
- मधुबनी
- सुपौल
- अररिया
- किशनगंज
पश्चिम बंगाल
- दार्जिलिंग
- उत्तर दिनाजपुर
बात करे बिहार के गांवों की तो पश्चिमी चंपारण के 15, पूर्वी चंपारण के 69, शिवहर के 7, सीतामढ़ी के 33, मधुबनी के 66, सुपौल के 43, अररिया के 47 और किशनगंज के 25 गांवों को मिलाकर कुल 305 गांवों से गुजरते हुए गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे को बिहार में लगभग 417 किलोमीटर तक बनाया जयेगा।
Gorakhpur Siliguri Expressway: भूमि अधिग्रहण
दुसरे एक्सप्रेसवे के तरह Gorakhpur Siliguri Expressway के लिए भूमि अधिग्रहण में उतनी ज्यादा परेशानी नहीं आनी चाहिए। दुसरे एक्सप्रेसवे में जमीन अधिग्रहण में काफी मुश्किलों का सामना करता पड़ता है, जिसके वजह से प्रोजेक्ट में देरी होती चली जाती है।
जैसा की हम जानते है, इस Gorakhpur Siliguri Expressway के मेगा प्रोजेक्ट में तीन बड़े राज्य शामिल है उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल और ये तीनो ही राज्य घनी आबादी वाले प्रदेश है। और घनी आबादी वाली जगहों पे इस तरह के प्रोजेक्ट का निर्माण हमेशा से ही एक चिंता की विषय रहती है।
जिसको देखते हुए केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय ने Gorakhpur Siliguri Expressway के लिए किसी दुसरे विकल्प पर विचार किया। और एक्सप्रेसवे को घनी आबादी से कुछ दूर बनाने का सुझाव दिया ताकि भूमि अधिग्रहण में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत ना आये।
Gorakhpur Siliguri Expressway के फायदे
- विकास की नई राह: यह एक्सप्रेसवे केवल एक यातायात का साधन नहीं रहेगा, बल्कि यह उन क्षेत्रों के लिए विकास की नई राह खोलेगा, जो अभी तक विकास की दौड़ में पीछे रह गए थे। एक्सप्रेसवे के निर्माण से आसपास के गांवों, कस्बों और शहरों में बुनियादी ढांचे का विकास होगा।
- पर्यटन को बढ़ावा: गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे पर्यटन को भी नए आयाम प्रदान करेगा। सिलीगुड़ी के निकट दार्जिलिंग, कालिम्पोंग, और सिक्किम जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। इस एक्सप्रेसवे से इन स्थलों तक की यात्रा और आसान हो जाएगी, जिससे पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी।
- यातायात और यात्रा की सुगमता: वर्तमान में, गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक की यात्रा में करीब 15 घंटों का समय लगता है। लेकिन एक्सप्रेसवे के शुरू हो जाने के बाद यह समय लगभग आधा हो जाएगा।
- सुरक्षा और तकनीकी विशेषताएं: गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे (Gorakhpur Siliguri Expressway) पर आधुनिक सुरक्षा सिस्टम प्रणाली को अपनाया जा सकता है जैसे की, यातायात और सुरक्षा की निगरानी के लिए एक्सप्रेसवे पर हाई टेक्नोलॉजी वाले कैमरे, एंबुलेंस और अन्य आपातकालीन सेवाओ की उपलब्धता, वाहन चालकों के लिए रेस्ट एरिया और फूड प्लाजा जैसी सुविधाएं इत्यादि।
इसके अलावा एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ वृक्षारोपण कर के पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है। साथ ही एक्सप्रेसवे को कई सारे दुसरे हाईवे के साथ जोड़ा जा सकता है, जिस से अन्य राज्यों की यातायात को और सुगम बनाया जा सके।
Conclusion :
कुल मिलाकर गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे (Gorakhpur Siliguri Expressway) भारत के बुनियादी ढांचे में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को आपस में जोड़ेगा, बल्कि पूरे उत्तर और पूर्वोत्तर भारत के विकास में भी सहायक सिद्ध होगा। इसके माध्यम से क्षेत्रीय विकास, व्यापार, रोजगार और पर्यावरणीय सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
डिस्क्लेमर
Gorakhpur Siliguri Expressway का ये ब्लॉग NHAI और न्यूज़ चैनलो पर मिले सूचनाओ पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता की जांच कर ले। संपूर्णता के लिए Hindifever.com उत्तरदायी नहीं है।